वो दिन याद आते हैं
वो बचपन का सावन वो बारिश का पानी
वो मस्ती ठिठोली वो थोड़ी शैतानी
वो भालू का खेला वो गलियों का मेला
बस वो दिन याद आते हैं
वो थोड़ा सा बोलना थोड़ा तुतलाना
वो खुद भी हँसना वो सबको हँसाना
वो लड़ना झगड़ना बहुत बाते करना
बस वो दिन याद आते हैं
वो स्कूल के नाटक वो रेल का फाटक
वो घर देर से आना बहाने बनाना
वो मम्मी की डॉटे वो पापा के चॉटे
बस वो दिन याद आते हैं
किताबों मे रख के वो कॉमिकसे पढ़ना
मंदिर की बगिया के पेड़ो पे चढ़ना
वो दोस्तों की बर्थडे पार्टी मनाना
वो पिकनिक मनाने डियर पार्क जाना
बस वो दिन याद आते हैं
वो साइकिल से सारा शहर घूम आना
मुहल्ले मे थोड़ा समझदार होना
वो पढ़ने मे भी थोड़ा होशयार होना
वो सबका चहेता सदा बनके रहना
बस वो दिन याद आते हैं
अब तो हैं बस वो बचपन की बातें
वो धुंधली सी प्यारी सी मीठी सी यादे
नही लौट सकते हैं दिन वो पुराने
खो गये वो सारे सपने सुहाने
अब बस वो दिन याद आते हैं
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