Friday, January 3, 2014

वक़्त

बचपन का वो जमाना,था बड़ा सुहाना
छोटी सी बात पर वो बड़ा सा रूठ जाना
वो जिद पकड़ के रहना और गुस्सा भी दिखाना

वो सारी बातें करना पर कुछ भी ना बताना
क्या दौर था निराला क्या लोग थे वो प्यारे
हर पल ही साथ रहते जब संगी साथी सारे
वो साथ लिखना पढ़ना वो साथ घूम आना
एक छोटी सी वो दुनिया थी पास में हमारे

फिर कुछ हुये बड़े हम कुछ जिम्मेदारी आयी
वो बंद हुई शरारत कुछ फासले वो लायी
वो बोलना हुआ कम ,चुप रहने लगे ज्यादा
लोगों ने समझा अब कुछ समझदारी आयी

फिर वक़्त और बदला तकनीक नयी आयी
दूरियाँ घटीं कुछ दुश्वारियाँ बढ़ाईं
दुनिया ये हो गयी है अब व्यस्त कुछ जी ज्यादा
ना वक़्त है किसी पर ना है कोई इरादा

वो जो हैं ये समझते,वो कीमती बहुत हैं
कीमत है उनकी तब तक जब जौहरी यहाँ हम हैं
जो हम बदल गये तो कहती फिरेगी दुनिया
तुम्ही बचे थे एक बस बदलाव जहां कम हैं

सब लोग हैं ये कहते बदलाव जिंदगी है
पर अपना फलसफ़ा है विश्वास जिंदगी है
बस एक यही है कारण जो हम नहीं बदलते
तुम चाहे चले जाओ इन्तेजार हम हैं करते

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