Tuesday, June 29, 2010

हमारा विकास

कभी कभी समझ नही आता की सरकार की बात माने या उसे सच मानू जो आज दिखाई दे रहा है हमारे देश मे अरबपतियो की संख्या दिन बा दिन बढ़ती जा रही है, विकास दर भी तेज़ी क साथ चकभी कभी समझ नही आता की सरकार की बात माने या उसे सच मानू जो आज दिखाई दे रहा है हमारे देश मे अरबपतियो की संख्या दिन बा दिन बढ़ती जा रही है, विकास दर भी तेज़ी क साथ चल रही है सारी दुनिया हमारी अर्थव्यवस्था को देख रही है ऐसा लग रहा है जैसे सब कुछ ठीक चल रहा हो लेकिन अचानक मेरा ध्यान कुछ खबरो की तरफ गया पता चला की हमारे देश मे ४७ करोड़ लोग ग़रीबी के रेखा से नीचे जी रहे हैं ,तभी ध्यान आया की दो महीने तक हमारे देश का एक र्राज्य मणिपुर आर्थिक नाकेबंदी मे रहा और हमारी सरकार देखती रही,देश की ३० करोड़ आबादी नक्सलियो के डर के साये मे जी रही है,एक ख़बर और आई की सरकार ने तेल की कीमतो को नियनतरण से मुक्त कर दिया है और महगाई का दानव ग़रीबो को निगलने के लिए मुह फैलाए खड़ा है ,तभी एक टीवी चैनल ने बताया की हमारे सांसदो की संपत्ति कितनी है ,हो भी क्यो ना अगर आप अरबपति हैं तो कोई भी पार्टी आपको राज्यसभा मे तो भेज ही देगी ,अब अरबपति आदमी ग़रीबो की क्या बात करेगा ये तो आप भी जानते हैं ल रही है सारी दुनिया हमारी अर्थव्यवस्था को देख रही है ऐसा लग रहा है जैसे सब कुछ ठीक चल रहा हो लेकिन अचानक मेरा ध्यान कुछ खबरो की तरफ गया पता चला की हमारे देश मे ४७ करोड़ लोग ग़रीबी के रेखा से नीचे जी रहे हैं ,तभी ध्यान आया की दो महीने तक हमारे देश का एक र्राज्य मणिपुर आर्थिक नाकेबंदी मे रहा और हमारी सरकार देखती रही,देश की ३० करोड़ आबादी नक्सलियो के डर के साये मे जी रही है,एक ख़बर और आई की सरकार ने तेल की कीमतो को नियनतरण से मुक्त कर दिया है और महगाई का दानव ग़रीबो को निगलने के लिए मुह फैलाए खड़ा है ,तभी एक टीवी चैनल ने बताया की हमारे सांसदो की संपत्ति कितनी है ,हो भी क्यो ना अगर आप अरबपति हैं तो कोई भी पार्टी आपको राज्यसभा मे तो भेज ही देगी ,अब अरबपति आदमी ग़रीबो की क्या बात करेगा ये तो आप भी जानते हैं और हमारी अर्थशास्त्री चौकड़ी ( मनमोहन,चिदंबरम,प्रणव मुखर्जी,अहलूवालिया) ये ना जाने कों सा गाणित लगाते रहते हैं की इन्हे बस विकास क अलावा कुछ दिखायीनही देता ना उजड़ते हुए गाव ना कटते हुए जंगल,ना महगाई से परेशान आम आदमी इन्हे तो बस वो विकास दर दिख रही है जो कितनी भी ऊँची हो जाए पर हमारे देस्श की ग़रीबी की रेख को नीचा नही कर सकती ,गाँधी जी कहते थे की असली भारत गाँव मे बस्ता है पर अब तो गाँवो को ही ख़त्म करने की त्यारी चल रही है समझ मे नही आ रहा ये विकास की दौड़ हमे कहा ले जायगीऔर हमारी अर्थशास्त्री चौकड़ी ( मनमोहन,चिदंबरम,प्रणव मुखर्जी,अहलूवालिया) ये ना जाने कों सा गाणित लगाते रहते हैं की इन्हे बस विकास क अलावा कुछ दिखायीनही देता ना उजड़ते हुए गाव ना कटते हुए जंगल,ना महगाई से परेशान आम आदमी इन्हे तो बस वो विकास दर दिख रही है जो कितनी भी ऊँची हो जाए पर हमारे देस्श की ग़रीबी की रेख को नीचा नही कर सकती ,गाँधी जी कहते थे की असली भारत गाँव मे बस्ता है पर अब तो गाँवो को ही ख़त्म करने की त्यारी चल रही है समझ मे नही आ रहा ये विकास की दौड़ हमे कहा ले जायगी

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