कभी सपेरो,जादुगरो का देश कहा जाने वाला भारत आज विश्व की एक बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है,जहा लाखो की सैलरी पाने वाला
एक बड़ा वर्ग है ,बड़े बड़े शॉपिंग माल हैं,मल्टीप्लेक्स हैं,महँगी गाड़ियाँ हैं , बड़ी बड़ी पार्टियाँ जिनमे लाखो रुपये की शराब बहायी जाती है,कुल मिलाकर हर वो सुविधा है जो कभी पश्चिम के देशो मे हम देखा करते थे मतलव ये कि हमारा भारत भी अब विकसित देश बनने जा रहा है माफ कीजिये ये हमारा भारत नही ये तो कुछ फीसदी लोगों का चमचमाता इंडिया है हमारा भारत तो आज भी उसी हालात मे है बल्कि शायद उससे भी बदतर पहले हम कम कमाते थे पर चैन से रहते थे कही किसानो की ज़मीन नही छीनी जाती थी ,ग़रीबी की रेखा से नीचे जीने वाले लोग भी कम से कम जी तो लेते थे ,सरकार भी ग़रीबो के दम पर और ग़रीबो के लिए सोचने वाली होती थी अब ग़रीबो के लिए सोचने का वक़्त ही नही किसी के पास, बड़ी औध्योगिक इकाइयो के लिए ज़मीन से लेकर हर सुविधाए मुहैया कराई जा रही हैं जनता के चुने हुये नुमाईन्दो के लिये जनता कि कमायी पानी कि तरह बहायी जा सकती है पर ग़रीबो को कुछ किलो ज़्यादा राशन देना सरकार का बजट बिगाड़ सकता है , मध्यम वर्ग की कमर तोड़ने वाले कर लगाए जा सकते हैं मगर करोड़ो अरबो रुपये के खेल वाले आई पी एल से आप वसूली नही कर सकते,अगर ये सब ऐसे ही चलता रहा तो वो दिन दूर नही जब हमारा भारत और कुछ लोगो के इंडिया के बीच का फ़र्क इतना बढ़ जाएगा जिसे दूर करना असंभव होगा
गरीबी की परिभाषा जो मुझे ठीक लगी।
ReplyDelete‘गरीबी की रेखा एक ऐसी रेखा है जो गरीब के ऊपर से और अमीर के नीचे से गुजरती है।’ यह परिभाषा सैद्धांतिक भले न हो, व्यावहारिक और जमीनी तो जरूर है। गरीबी की रेखा के जरिये राज्य ऐसे लोगों को पहचानने की औपचारिकता पूरी करता है जो अभाव में जी रहे हैं। जिन्हें रोज खाना नहीं मिलता। जिनके पास रोजगार नहीं है। छप्पर या तो नहीं है या सिर्फ नाम भर का है। कपड़ों के नाम पर वे कुछ चिथड़ों में लिपटे रहते हैं। इन्हें विकास की राह में सबसे बड़ी बाधा माना जाने लगा है। विडम्बना यह कि विकास का एक अहम् मापदण्ड भी यही है कि इन लोगों को गरीबी के दायरे से बाहर निकाला जाए। इसी दुविधा में संसाधन लगातार झोंके जा रहे हैं। पिछले दो दशकों में इन गरीबों को गरीबी की रेखा से ऊपर लाने के लिए 45 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। पर अध्ययन बताते हैं कि निर्धारित लक्ष्य का केवल 18 से 20 प्रतिशत हिस्सा ही हासिल किया जा सका है।