Friday, August 24, 2012

ए मुल्क तेरे हालात पर बस मुझको रोना आया

कहीं ग़रीबी कहीं भुखमरी कहीं पे फैली बेकारी
सब कुछ सहते कुछ ना कहते कैसी है ये लाचारी
आज ये चारों ओर यहाँ सन्नाटा है क्यों छाया
ए मुल्क तेरे हालात पर बस मुझको रोना आया
सुलग रहा पंजाब है फिर से बैठा असम अंगारो पर
देते लोग दिलासा कहते आता तरस बेचारों पर
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण फिर वही गदर मचाया
ए मुल्क तेरे हालात पर बस मुझको रोना आया
नहीं सहेंगे चुप ना रहेंगे सदियों से कहते आए
धीरे धीरे कटता रहा तू हम बस इतना भारत पाए
तेराचीर हरण रोके जो फिर ना वो भगवान आया
ए मुल्क तेरे हालात पर बस मुझको रोना आया
सत्ताधारी बैठे अंधे ये जनता बेगानी है
अब भी हुए ना एक अगर तो मात तुम्ही को खानी
हैटुकड़े-टुकड़े हो जाओगे दौर वही फिर से आया
ए मुल्क तेरे हालात पर बस मुझको रोना आया