Monday, November 14, 2011

पूर्वोत्तर भी हमारा ही है

हमारे देश का एक हिस्सा है जिसे हमपूर्वोत्तर कहते हैं,जहाँ असम,मणिपुर,मेघालय,सिक्किम,मिजोरम,अरुणाचल और नगालेंड आते हैं,इनमे असम के अलावा बाकी नाम शायद कभी हमसुन पाते हैं,प्रकर्ती ने इन राज्यों को असीम सुंदरता प्रदान की है लेकिन शायद हम वहाँ जाना चाहे ,इन राज्यो का नाम हम खबरो मे सुनते हैं तब जब चीन अरुणाचल पर अपना दावा जताता है,सिक्किम मे भूकंप आता है ,लेकिन हमे नही पता होता
की वही का एक राज्य मणिपुर महीनो तक देश से कटा रहता है वो भी अलगाववादियो की नाकेबंदी की वजह से ,नागालेंड और मिजोरम मे आतंकी समान्तर सरकार चला रहे हैं और केंद्र सरकार उनसे शांति समझौता करके खुश हो जाती है,और देश के एक बहुत बड़े हिस्से ने मेघालय का नाम तो शायद ही सुना हो,पूर्वोतर के लोग अगर हमे कही दिखते हैं तो हम उन्हे हिन्दुस्तानी कम चीनी ज़्यादा समझते हैं और उसके बाद भी हम समझते हैं की सारा भारत एक है,पूर्वोत्तर को हम अपने एक भौगोलिक हिस्से से ज़्यादा कुछ नही समझते,हमे पता होना चाहिए की जिस तरह उन्हे देश के बाकी हिस्सो मे अलग से देखा जाता है,वैसे ही अपने राज्यो मे वो भी हमे विदेशी की तरह देखते हैं,मुझे याद है पूर्वोत्तर की एक महिला पहलवान के आँसू जब हरियाणा मे एक प्रतियोगिता के दौरान खुद को चीनी कहे जाने पर रो पड़ी थी,उस खिलाड़ी की यही पीड़ा थी की उन्हे बाकी हिन्दुस्तानियो की तरह क्यो नही देखा जाता
दिल्ली की सरकार का सिर्फ़ इतना नही है की वो राज्यो को केंद्रीय सहायता केनामपर पैसे देती रहे बल्कि देश के नागरिको को इस बात का भी अहसास कराए की वो भी इसी देश के नागरिक हैं चाहे वो देश के किसी भी हिस्से मेरहते हो,देशके नेताओ को भी सोचना चाहिए की अगर पूर्वोत्तर मे ज़्यादा वोट नही हैं,तो इसका मतलब ये नही की हम उनके बारे मे सोचना बंद कर दे,देश के मीडिया की भी यह ज़िम्मेदारी है की वो देश के बाकी हिस्से को भी प्रतिनिधित्व दे